अभी प्रदेश कांग्रेस के चार कार्यकारी अध्यक्षों में राजपूत, भूमिहार, हरिजन और मुस्लिम का प्रतिनिधित्व है। चर्चा है कि पिछड़ी, अति पिछड़ी और दलित जातियों की हकमारी अध्यक्ष से लेकर कार्यकारी अध्यक्ष की कुर्सी देने में हुई है। बिहार में इन तीनों की पकड़ सबसे ज्यादा है। RJD, BJP, JDU भी इन जातियों को इग्नोर करने का खतरा मोल नहीं लेती। इसलिए कांग्रेस इस बार इस पर विचार करने के मूड में है। पार्टी पर इस समीकरण का दबाव है।